है तय मिलना एक दिन, होले से दिल अलविदा कह गया। है तय मिलना एक दिन, होले से दिल अलविदा कह गया।
कोई आज फ़ना कर दे इस जिस्म को रूह से, कब से बेताब है ये नदी सागर से मिलने को। कोई आज फ़ना कर दे इस जिस्म को रूह से, कब से बेताब है ये नदी सागर से मिलने को।
आज फिर मेरे कमरे के सन्नाटे ने एक अंगडाई सी तोड़ी है, आज फिर मेरे कमरे के सन्नाटे ने एक अंगडाई सी तोड़ी है,
क्यों नहीं उठते हो तुम व्याकुल मनवा सोचे है क्यों नहीं उठते हो तुम व्याकुल मनवा सोचे है
हम उनके लिए पागल हो जाएंगे मालूम ना था I हम उनके लिए पागल हो जाएंगे मालूम ना था I
गूंगी चीखों के सन्नाटे चीर मिली बँटी खूब बधाई गूंगी चीखों के सन्नाटे चीर मिली बँटी खूब बधाई