पीछे पलट के ज़िन्दगी को देखा है बार बार यादों के पार्सल आते रहते है बारम्बार पीछे पलट के ज़िन्दगी को देखा है बार बार यादों के पार्सल आते रहते है बारम्बार
बनावटी ना उसकी बातें थी ना दिखावे की अदा ही सीखी थी। और कुछ कहना चाहा कभी तो बनावटी ना उसकी बातें थी ना दिखावे की अदा ही सीखी थी। और कुछ कहना चाहा कभी ...
अक़्सर शाम होते ही दीया बुझा देता हूँ। अक़्सर शाम होते ही दीया बुझा देता हूँ।
हम खुद में तल्लीन कहॉं थे ? तुम बिल्कुल अदृश्य हो गई। हम खुद में तल्लीन कहॉं थे ? तुम बिल्कुल अदृश्य हो गई।
मेरे सूने आँगन को महकाते हो मेरे सूने आँगन को महकाते हो
इम्तिहान लेते रहे और हम खामोशी से हर इम्तिहान देते चले गए इम्तिहान लेते रहे और हम खामोशी से हर इम्तिहान देते चले गए