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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Drama

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Dr Shikha Tejswi ‘dhwani’

Drama

मॉं

मॉं

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चाहे दर्द मामूली हो,

या व्याधि हो अतिगमगीन।

हर दुख में बस तुम्हें ही पुकारूँ,

मॉं ज़िंदा हो या हो विलीन।


गोद में तेरी सर रखकर,

हम जब लेटा करते थे।

पलक झपकते नींद की हम,

आगोश में सोया करते थे।


हमारे लिये ज़माने से तुम,

डंटकर सामना करती थी।

हम पर तुम विश्वास करके,

हौसला बढ़ाया करती थी।


जब वक़्त तुम्हें संभालने का था,

तुम बिल्कुल ख़ामोश हो गई।

हम खुद में तल्लीन कहॉं थे ?

तुम बिल्कुल अदृश्य हो गई।


सच है दस बच्चों को भी,

एक मॉं अकेली है पाल सकी।

लेकिन इक मॉं को पाल पाना,

दस के बस की बात नहीं

दस के बस की बात नहीं।


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