वर्क फ्रॉम होम
वर्क फ्रॉम होम
वर्क फ्रॉम होम करते करते,
अब तो हम हैं थक गए।
कब खुलेगा अपना दफ्तर,
सोंच कर हम हैं पक गए।।
घर में ऑफिस, घर में स्कूल,
बर्तन-चौका, कपड़ा घर में।
पार्किंग में है कार सोंचती,
कब चलूंगी अब बाहर मैं।।
सड़कों पर हैं मोर नाचते,
नील गाये कर रहे भ्रमण।
हम इंसान भी थे कभी बाहर जाते,
करते हैं हम आज स्मरण।।
किसी को मिला पल-पल का साथ,
तो कोई जुदाई है रहा झेल।
आना भी चाहे तो आये कैसे,
नहीं चल रही है कोई रेल।।
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बच्चे समझा रहे फ़ोन कर,
पापा अभी तुम मत आना।
कोई बात नहीं फिर मना लेंगे जन्मदिन,
जब भाग जायेगा दुष्ट कोरोना।।
एक अदृश्य जीव ने ,
क्या हाल हमारा बना दिया।
खुद आज़ाद घूम रहा,
हमें घर में बंद किया ।।
पूरे विश्व में भ्रमण कर लिए,
अब तो थोड़ी शर्म करो।
बिन बुलाये मेहमान हो तुम,
अब तो हम पर रेहम करो ।।
किस पंछी को कैद करने की,
सज़ा हम हैं पा रहे।
जीव-जंतु आज़ाद घूम रहे,
हम खुद के घर में कैद रहे ।।