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Jyoti kumari

Tragedy

4  

Jyoti kumari

Tragedy

मेंहदी वाले हाथ

मेंहदी वाले हाथ

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कितने खूबसूरत लग रहे थे,

वो मेंहदी वाले हाथ

रंग निखर कर आया था,

खुशियाँ थी चारों ओर

आस-पड़ोस, गली-मोहल्ले से,

तजुर्बेदार औरतों की मुख ध्वनि,


अरे रंग कितना गहरा चढ़ा है,

ससुराल न्यारा मिलेगा,

सखियाँ छेड़ती, सताती,

दूल्हा प्यारा मिलेगा,

सज गई थी गलियाँ,

जल रही थी लरियाँ,

दुल्हन के लाल जोड़े में,


खुश थी,

वो मेंहदी वाले हाथ,

सपने सुहाने सजने लगे थे,

पराये भी अपने लगने लगे थे,

अग्नि की पवित्र ज्वाला में,

दो अजनबी जुड़ने लगे थे,


ममता के आँचल से निकल,

विदा हुई वो पिय के घर,

एहसास नहीं था लेश मात्र,

थाम आई थी हाथ जिसका, 

पल में साथ छोड़ देगा,


दहेज का दानव बन निर्दयी,

धधकती लपटों में झोंक देगा,

चिखती हुई आवाजें सुन,

अपना मुंह मोड़ लेगा,

हर रिश्तों से नाता तोड़,


संबंधियों को अकेला छोड़,

विदा हुई थी डोली में कभी,

कलशी में सिमट,

फिर वापस आई है,

वो मेंहदी वाले हाथ।


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