भूल जाऊंगा...। भूल जाऊंगा...।
अल्हड़ सी इक मासूम कली थीइक गाँव की एक हवेली मेंराजकुमारी की तरह पली थीबड़े बुज़ुर्गों की गोदी में अल्हड़ सी इक मासूम कली थीइक गाँव की एक हवेली मेंराजकुमारी की तरह पली थीबड़े बुज़...
तो भविष्य में पड़ेगा हमारी आने वाली पीढ़ी को पछताना। तो भविष्य में पड़ेगा हमारी आने वाली पीढ़ी को पछताना।
वाह रे मेरा आधुनिक भारत ये तो सच में, मेरे देश को बदल रहे हैं। वाह रे मेरा आधुनिक भारत ये तो सच में, मेरे देश को बदल रहे हैं।
अब जरूरी कुछ भी लगता नहीं है वक़्त जैसे गुजरे, जाने का डर हैं क्या। अब जरूरी कुछ भी लगता नहीं है वक़्त जैसे गुजरे, जाने का डर हैं क्या।
चौदह सितम्बर को सिमटे मन के भाव रह गए। चौदह सितम्बर को सिमटे मन के भाव रह गए।