अल्हड़ सी इक मासूम कली थीइक गाँव की एक हवेली मेंराजकुमारी की तरह पली थीबड़े बुज़ुर्गों की गोदी में अल्हड़ सी इक मासूम कली थीइक गाँव की एक हवेली मेंराजकुमारी की तरह पली थीबड़े बुज़...
लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं|| लोगों से क्या, अब खुद से अंजान रह जाते हैं शीशे में भी हम, नज़र नहीं आते हैं||