मासूमियत...। मासूमियत...।
एक कविता...। एक कविता...।
देखकर दरिंदगी इस दुनिया में अब आँख भर आती है... देखकर दरिंदगी इस दुनिया में अब आँख भर आती है...
हर रात की तरह उस रात भी सो गया, सुनी जब खबर तो दिल मेरा भी रो गया... हर रात की तरह उस रात भी सो गया, सुनी जब खबर तो दिल मेरा भी रो गया...
लगता है फिर कहीं इंसानियत का इंतकाल हुआ है ! लगता है फिर कहीं इंसानियत का इंतकाल हुआ है !
दरिन्दगी भर गयी है खून में हैवान कर रहे अत्याचार... दरिन्दगी भर गयी है खून में हैवान कर रहे अत्याचार...