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आदेश दुबे

Crime Drama Tragedy

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आदेश दुबे

Crime Drama Tragedy

चीख मासूमों की कौन सुने

चीख मासूमों की कौन सुने

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चीख मासुमों की कौन सुने

कौन बने अब पहरेदार

दरिन्दगी भर गयी है खून में

हैवान कर रहे अत्याचार


घर घर में दानव पल रहे

बचा नहीं अब शिष्टाचार

किसकी बेटी है सुरक्षित

जब भेड़िए घूमें बीच बजार


केवल कैंडल मार्च जलाकर

नहीं रुकेगा बलात्कार

संविधान हो नपुंसक तो

मचती रहेगी चीख पुकार


जब तक रावण नहीं मरेगा

सीता नहीं सुरक्षित यार

बलात्कार की पीड़ा तब तक

झेलती रहेगी मासूम हजार


न्याय किसे है मिला बता दो

अन्धे बहरे न्यायालय से

राम अभी तक चौखट पर खड़े

आश लगाए अन्यायालय से


मासूमो पे क्या गुजरी है

ए फाईल वाले क्या जाने

दरिंदो ने क्या कर डाला

ए काली कोट क्या पहचाने


चलर हैं संविधान हमारा

वकीलों का लगता तांता है

दरिंदो का मनोबल बढ़ाता

यही भाग्य विधाता है


वर्ना ए कुत्ते साहस इतना न कर पाते

गर बलात्कारी सीधे फांसी पर जाते

किसी मासूम को देखने की औकात न होती

बलात्कार तो दूर नजर फेरने की भी बात न होती


अब तो ऐसे लोगो को बीच चौराहे पर जलाओ जी

बेटी सुरक्षित रखना है तो कदम कठोर उठाओ जी

नेताओं और सरकारों से अब मत आशा लगाओ जी

बलात्कारी दरिंदो को जन्नत की शैर कराओ जी


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