कटे पंखों के साथ भी उड़कर दिखाऊंगी !!
कटे पंखों के साथ भी उड़कर दिखाऊंगी !!
पापा का दिया नया सूट पहन कर सज - धज कर
यूँ ही काम को चली थी,
पांच मिनट में आकर खाना खाती हूँ ऐसा कहकर
दुपट्टा संभालते संभालते घर से मैं निकली थी ...
नहीं जानती थी की वो खाना थाल में रखा रखा ही ठंडा हो जाएगा,
पांच मिनट तो क्या पांच दिन भी मेरा पाँव
उस घर में दोबारा न पड़ पाएगा ..
क्या जानते थे मेरे माता-पिता की अपनी फूल जैसी बेटी का चेहरा
वो आखिरी बार देख रहे थे ,
उस चेहरे का दीदार फिर कभी नहीं होगा
इस बात को तो वो सपने में भी नहीं सोच सकते थे ...
कुछ ही कदम चली थी की मेरे पाँव थम से गए ,
दौड़ना तो छोड़ खड़े होने के काबिल भी वो न रहे ...
लाचार होकर गिर पड़ी मैं अपने माँ-बाप को न पुकार सकी,
ऐसी हालत उसने मेरी कर दी ,
दूसरों से क्या मैं खुद से नज़र न मिला सकी...
हर वक्त सुनहरे सपने देखने वाली आँखों के आगे
काला अँधेरा समा गया ,
हर वक्त बक- बक करने वाली जुबां पर मानो
हमेशा के लिए ताला लग गया ....
ज़ालिम ने ज़िंदा जला दिया मुझे,
मेरे जिस्म का अस्तित्व मिटा कर रख दिया उसने,
मेरी रूह का बहुत ही बे-रेहमी से कत्ल कर गया,
छोटी सी बोतल में रखा "तेज़ाब"
मेरी ज़िन्दगी तहस - नहस कर गया ...
मेरा चेहरा मानो पिघल कर मेरे हाथ पर आ गया,
उस वक्त मेरे सपने मेरे ख़्वाब मानो सब कुछ
मेरे हाथ से फिसल गया ...
चीखती रही चिल्लाती रही,
बीच सड़क मैं खुद को कोसती रही ,
किसी से आँख न मिला सकी,
मदद के लिए मैं हाथ आगे न बढ़ा सकी ...
इतना बेबस उसने मुझे कर दिया ,
मेरे अंदर जीने की इच्छा को उसने ख़त्म कर दिया ...
अपनी ज़िन्दगी की उस काली रात को
मैं बार - बार याद करती रही ,
खुद से नज़र मिलाने से डरने लगी ,
शीशे के सामने आने से भी मैं घबराने लगी ..
मेरी ज़िन्दगी तबाह करके,
मिला क्या आखिर तुझे ये सब करके ?
न मेरे कपड़ों में कमी थी,
न मेरी कोई गलती थी,
जाने दुष्ट किस बात की सजा दे गया ,
"फूल" बनने से पहले ही एक "कली" की ज़िन्दगी
तबाह कर गया ...
तेरी बहन तेरे सामने आने से डरेगी,
घर क बाहर शैतानों से लड़ती थी,
अब घर के अंदर पल रहे राक्षस से लड़ेगी ..
राखी देखकर खूब रोएगी तुझे भाई न बोलेगी,
किसी दिन तू उसका क़त्ल न कर दे ,
इस सोच से वो पल-पल मरेगी ..
लाड-प्यार से जिस माँ ने पाला तुझे
उसका आँचल भी खूब रोएगा,
बेटा - बेटा कहती ना थकती थी जो ,
अपना लाडला कहने से पहले सो बार सोचेगी अब वो ...
छिपा क्यों है, आकर देख, खुश हो, जशन मना,
मुझे देखकर हँसते हैं अब लोग
छोटे बच्चे डरते और रोते हैं बहुत ..
लाचार, बिचारी ऐसा कहकर मेरी हिम्मत तोड़ देते हैं,
सोच क्या गुज़रती है मुझपर, जब मेरे अपने ही मेरा साथ छोड़ देते हैं ....
तूने "तेज़ाब" मेरे चेहरे पर फेंका, मेरे सपनों पर नहीं
तुझे तेरी असली जगह पहुंचा कर दिखाऊंगी,
मेरी हिम्मत को चुनौती मत देना,
देख " मैं कटे पंखों के साथ भी तुझे उड़ कर दिखाऊंगी " !!