अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
न इज़हार हुआ न बयां हुआ
वो इश्क़ हमारे दरमियाँ न आसान हुआ
साल गुज़ार दिए जिस बेनाम रिश्ते के सहारे
ये भी न मालूम हुआ की वो एहसास
सिर्फ हमे या उन्हें भी बेमिसाल हुआ !!
उम्र बीत गई बेखुदी सी मोहब्बत करने में
अगर ज़रा सा इश्क़ उसको भी था
तो आज चेहरा देखता होगा मेरा
हर किसी में !
इंतज़ार है तुम्हारे लौट आने का
इंतज़ार है तुम्हारा एक दीदार पाने का
सालों के इस इंतज़ार को कुछ तो अंजाम देना
मेरे "प्यार" को चाहे तुम
फिर से दोस्ती का नाम दे देना !
इतना पत्थर दिल नहीं हो सकता
वो खुदा
मेरे ज़ख़्मों पर कुछ तो मरहम लगाएगा
मोहब्बत न सही तो क्या
एक मुलाकात की साजिश वो ज़रूर रचाएगा !!