गुस्सा
गुस्सा
पागल नहीं थे जो तेरी परवाह किया करते थे
कुछ तो राब्ता था तुझसे
ऐसे ही नहीं तेरे गुस्से को भी हँस के झेला करते थे !
खाना खाया,दवाई ली ,दिन में दस बार पूछा करते थे ,
शायद मोहब्बत होने लगी थी तुमसे ,
ऐसे ही नहीं तेरी सादगी पर मरा करते थे !
तेरी आवाज़ सुनने को तरसते थे ,
पल-पल तेरी परवाह करते थे
बारिश की बूंदों में भी तेरे आंसू पहचान जाते थे
और मेरे आंसू को तुम पानी की बूँदें बताया करते थे!