चलो बन जाएँ दीया और बाती
चलो बन जाएँ दीया और बाती


उदासियों का कर के आलिंगन, ले लो सुबह सवेरे अंगड़ाई,
कर लो ब्रह्माण्ड का लवों से चुम्बन, ले कर एक जम्हाई।
कभी चरम क्रोध में फफक हंसना, कभी सच बोलकर खुद ही फंसना,
कभी सोये हो पूरी रात, फिर भी पूरा जागते ही रहना।
कभी मुँह फुलाकर दिल में हंसना, तनहाइयों में सुनना शहनाई,
सुकूँ आँखों को मिले न मिले, कानों में जैसे मिश्री घुल आई।
सर पर रखकर पल्लू हया का, दिल के परदे देना खोल,
ज़िन्दगी के हर पल में तुम, दिल के दरवाजे देना खोल।
कभी युहीं कर लिया करो ठिठोली, घोल दिया करो जीवन में मिश्री की गोली,
कभी शब्दों की मीठी फुहार से, खेल लिया करो मुझ संग होली।
कभी बाग में चल कर मेरे संग, खेल लिया करो आँख मिचोली,
कभी खुद से ही कर लिया करो, मुझसे मीठे प्यार की बोली।
आधी ज़िन्दगी युहीं गुजर गयी, आपस में बेमतलब लड़ते झगड़ते,
क्यों अब भी हम वक़्त बेवक़्त, एक दूजे की टांग हैं खींचते?
लगाकर मन पर स्नेह की मेहंदी, चलो बसा ले प्रीत का आशियाना,
हाथों में हाथ डालकर चलने का, कुछ तो ढूंढ लो कभी बहाना।
उम्र के इस गुजरते पड़ाव में, जी लें हम भी सुकूँ के दो पल,
भूल जाएँ चलो सारी रंजिशें, ढूंढ ले अब तो ज़िन्दगी का हल।
बड़े हो गए अब तो बच्चे, चलो जी लें अब कुछ अपनी ज़िन्दगी,
कट जायेगा बुढ़ापा एक दूजे के सहारे, यही करूँ मैं ईश्वर से बंदगी।
बनाएंगे मिलकर सुबह शाम का भोजन, खाएंगे बैठ एक दूजे के संग,
इन छोटी छोटी बातों से चलो, सजा लें जीवन में नये कुछ रंग।
बरामदे में बैठ कुर्सी पर दोनों, आपस में बतियाले सुख दुःख की बातें,
बिताएं ख़ुशी से बची खुची ज़िन्दगी, कट जाएंगी सुकूँ से बची हुई रातें।
कभी चोट जो लग जाए मुझे कहीं, थोड़ा सा तुम भी सहला देना,
कभी जो न लगे मन मेरा युहीं, कभी तुम भी मन बहला देना।
चलो लौटा लाएं फिर से बिसरा बचपन, ताज़ा कर ले बिसरी यादें,
चलो कर ले बचपन को याद, कर ले एक दूजे से फरियादें।
चलो खोलें आज शादी का वह एल्बम, वापस पा लें वह खोया यौवन,
पा लें फिर हम वह अल्हड़ दुनिया, प्यार का सजालें फिर एक मधुवन।
याद करें वह फेरे सात, जो लिये थे हमने अग्नि के चारों ओर,
याद करें वह सातों वचन, जिनके साथ बांधी थी नवजीवन की डोर।
छोड़ कर सारी चिंतायें सब की, एक दूजे में हो जाएँ मगन,
जी लें साथ फिर कुछ तो लम्हे, जगाकर मन में प्यार की अगन।
जीवन के इन गुजरते पलों में, क्यों न कर लें आपस में याराना,
यही होंगी प्यार की सौगात, यही होगा ज़िन्दगी का नजराना।
बनकर एक दूजे के बुढ़ापे की लाठी, बना देँ जीवन को खुशगवार,
चलो बन जाए आपस में सहारा, बुढ़ापे को कर दें यादगार।
मैं बन जाऊँ मिट्टी का दीया, तुम बन जाओ कपास की बाती,
बड़ा खुशनुमा होगा बुढ़ापे का सफर, चलो जी लें बनकर दीया और बाती।