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Mahi Aggarwal

Romance

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Mahi Aggarwal

Romance

पहला प्यार

पहला प्यार

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पहली दफा जब देखा उसे

देखती रही उसे मैं बार बार

लपक कर गले लगाया मैंने

निश्छल मुस्कान आई घरद्वार

छेड़ दिया उसने हृदय के तार

तन-मन में गुंजी मेरे झनकार

कर रही नव चेतना का संचार

फुट फुट कर आ रहे मन उद्गार

कोमलांगी सी मृगनयनी सी वो

चंचला सी जैसे ठंडी सी बयार

अधरों पर ऊंगली फिराऊँ

बार बार गालों को सहलाऊँ

रेशमी केशुओ को सहलाऊँ

चुमती हूँ हो बेकरार बार बार

शायद यही है पहला प्यार 

हां यही है तो है पहला प्यार।



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