जी
जी
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जी की कहानी भी क्या कमाल है
देखने सुनने बोलने लिखने मे छोटु
पर खुद मे काफी विशाल है
हर रिश्ते की जान ये पहचान ये जी
जिनसे कोई रिश्ता नहीं हो फिर भी
जी ही संबोधन बन जाता हर हाल है
शान मे किसी की बिछता जी बेचारा
श्रेय सारा हमको मिल जाता संस्कारी का
वाह अपनी भी किस्मत क्या कमाल है
जी आगे लगे या पिछे रुत्बा एक समान
जी ही मान बढ़ाता ना तो रिश्ता धूल समान
जी ने भी खुब मचाया धमाल है