शिमला की बारिश
शिमला की बारिश


खिड़कियाँ सारी खोल दी झटपट
मेघो से आमंत्रण मिला मित्र स्वरुप
मन में प्रेम कोपलें फूटने लगी अब
मुझमे अंगड़ाइयाँ सी टूटने लगी तब
सारे बंधन तोड़ कर आई बाहर मैं
महकती लहकती हवाएँ चल पड़ी
मेरे मन में भावनायें मचल पड़ी
वादियों पहाड़ो में बहक बहता मन
बिन मौसम बरसात होने लगी
तन क्या मन भी भिगोने लगी
बारिश की झमझम उकसाने लगी
रोम रोम मेरा थिरकाने लगी
लटो से टपक कर बारिश की बूँदें
कमर को मेरे सहलाने लगी
खुश हो छम छम नाचने लगी
हाथ फैलाए मुँह ऊपर कर घूमती मैं
बारिश की बूंदो को होठो से चूमती मैं
वो भी कुछ कम नही बावली सी है
बावली हो मेरे बदन को चूमती वो
पेड़ो के इर्द-गिर्द फेरे लगाती मैं
कभी डालियाँ पकड़ झूल जाती मैं
डालियों को हिला हिला मस्ती में
चेहरे पर अपने बूंदो को गिराती मैं
शिमला की हसीन वादियो में अक्सर
बहारा बहारा सी हो खो जाती मैं