परिणय सूत्र
परिणय सूत्र
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हमारी राहे आपकी और युं मुड़ने लगी है
जैसे शाम आकर सुबह से जुड़ने लगी है
जब हाथो में हाथ तेरा आ गया तब
कटीले पथरिले रास्तो पर बढ़ने लगी हूँ ।
पाकर तुम्हारा सानिध्य गर्वित हुई मैं
फिर खुद पर इतरा उड़ने लगी हूँ मैं
बांधा है जब से तुने परिणय सूत्र में
एहसासो से भी तेरे जुड़ने लगी ह