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Mahi Aggarwal

Abstract Drama

3.3  

Mahi Aggarwal

Abstract Drama

अनमना सा

अनमना सा

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कभी लगे अनमना सा

सर्द रातों में गुनगुना सा

गीली माटी की सोंधी खुशबू सा

बारिश के बाद धुला गगन सा।


विवाह वेदी की हर रस्म सा

माँ की डाँट सा,

गाँव मे लगे हाट सा

चटपटी चाट सा।


मुफलिसी मे भी राजसी ठाठ सा

पीपल की छावँ सा

गंगा में चलती नावँ सा

कभी लगता नवजात सा।


कभी तारों की बारात सा

भँवरे फूल की मुलाकात सा

चेहरा तेरा गंगा घाट सा

तोता मैना की बात सा


झिलमिलाता अंम्बर सा

कभी लगे अनमना सा।।


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