झिलमिलाता अंम्बर सा कभी लगे अनमना सा। झिलमिलाता अंम्बर सा कभी लगे अनमना सा।
उंगलियों ने चाहा ज़ुल्मी जुल्फों को हटाना भौंरे बोलने लगे, ज़रा ठहर जा हसीना उंगलियों ने चाहा ज़ुल्मी जुल्फों को हटाना भौंरे बोलने लगे, ज़रा ठहर जा हसीना
बन्द दरवाजों के पार न जाने क्या होगा कुछ अटकलें लगाता बन्द दरवाजों के पार न जाने क्या होगा कुछ अटकलें लगाता