ये चाँद हर दिन देखता है तुम्हें फिर रात भर पिघलता है। ये चाँद हर दिन देखता है तुम्हें फिर रात भर पिघलता है।
बन्द दरवाजों के पार न जाने क्या होगा कुछ अटकलें लगाता बन्द दरवाजों के पार न जाने क्या होगा कुछ अटकलें लगाता