भाई-बहन का अमर प्रेम।
भाई-बहन का अमर प्रेम।
राखी का त्योहार महान,
रक्षाबंधन जिसका नाम।
भाई-बहन है इसकी शान,
पवित्र रिश्ते का रखो मान।।
एक दूजे की करते फिक्र,
हरदम करते जिसका जिक्र।
बात किये बिन रह न पावे,
मिलते ही वह लड़-लड़ जावे।।
ईर्ष्या - द्वेष की लगी है होड़,
राग - मोह से नाता जोड़।
माता-पिता उसी को चाहते,
दोनों ही तो यह हैं कहते।।
बचपन बीता नादानी में,
दोनों लड़ते मनमानी में।
माता-पिता ने जिसे दुलारा,
दूजे को वह नहीं सुहाया।।
युवावस्था में मित्र कहाये,
भाई बहन की चिंता सताये।
पल-पल रखते उनका ध्यान,
एक दूजे पर छिड़के जान।।
पढ़ते-पढ़ते लड़ आते थे,
खेल-खेल में भिड़ जाते थे।
बालिग़ होने तक का सफर,
बीता यूँ ही हँस-हँस कर।।
बंधन शादी
की बात आयी,
भैया की तो आँख भर गयी।
घर छोड़कर जायेगी बहना,
भाई को उसके बिन न रहना।।
जब भाई बनेगा दूल्हा राजा,
बहन को मिला अनुभव ताज़ा।
भाभी आयी खुशहाली है,
ननद के मन में हरियाली है।।
अपने घर के दोनों हैं अब,
मिलना होगा उनका जाने कब।
भाई-बहन का अमर प्रेम है,
रखते सभी की कुशल क्षेम है।।
सावन का महीना जब आया,
बचपन की यादों को लाया।
महा पर्व रक्षाबंधन है आया,
जहाँ तो फूला नहीं समाया।।
फिर रक्षासूत्र बांध कलायी,
माता-पिता की याद है आयी।
बहन रक्षा का वचन दिया है,
मर्यादा का संकल्प लिया है।।
माता सुता बहन हैं भारी,
लाज बचाने की है बारी।
हर लड़की तो एक बहन है,
इज्जत करना विशाल मन है।।