त्योहार दीवाली आया
त्योहार दीवाली आया
जन-जन का मन हर्षाया, जब त्योहार दीवाली आया।
सब मिल राग खुशी से गाया, उत्साह से इसे मनाया।
घृत दीपक रोशन करते, मन घर गली मुहल्ला हरते।
पंच दिवस का यह त्योहार, पहले गृह व्यापार बुहार।
स्वच्छ सदन जो सजाया, झल्लरियों से है दमकाया।
कार्तिक कृष्ण अमावस्या रात, जगमग जग विख्यात।
धनतेरस से हो शुरुआत, गहने आभूषण की सौगात।
समुद्र मंथन का इतिहास महान, धन्वंतरि अवतरण जान।
आयुर्वेदिक दिवस पहचान, आरोग्य सुख चिकित्सा विज्ञान।
रूप चतुर्दशी करे निखार, नरक के बंद हो सारे द्वार।
ये दिन साँझ जब ढल जाती, छोटी दीवाली कहलाती।
पटाखे फुलझड़ी की हो बात, बच्चों में दिखता उल्लास।
कार्तिक अमावस्या जब आयी, सूर्योदय पर मिली बधाई।
पावापुरी को नमन किया, महावीर स्वामी निर्वाण लिया।
जिनालयों में हुई जय जयकार, निर्वाण लाडू भी तैयार।
मोक्ष कल्याणक मनाएंगे, पाँच सौ सताईस ईसा पूर्व जाएंगे।
गौतम गणधर की है पूजन, केवल्यज्ञान महोत्सव फिर भोजन।
रात्रि आगमन का है इंतजार, दीपावली का सज रहा बाजार।
माता-पिता वचन का मान, अवधपुरी से किया प्रस्थान।
प्रेरणा है सब नर-नारी, आकुल व्याकुल थी प्रजा सारी।
पुरुषोत्तम राम अयोध्या लौटे, बनवास के वर्ष न थे छोटे।
जन मानस तन मन प्रफुल्लित, वन-उपवन भी अह्लादित।
वह खुशियां आज मनाएंगे, घर-घर द्वार दीपक जलाएंगे।
लक्ष्मी गणेश का कर पूजन, आतिशबाजी का भी मन।
पर्यावरण दूषित न करना, प्रकृति शुद्ध वातावरण में रहना।
अति सूक्ष्म जीव बचाएंगे, ज्वलंत पटाखे नहीं चलाएंगे।
दुर्घटना से सबको बचाना, ध्यान जीव जगत का रखना।
सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाना, दया भाव को नित प्रकटाना।
अब गोवर्धन पूजा की है बारी, श्री कृष्ण है जग कल्याणी।
गौ रक्षा का संकल्प लिया, फिर पशुधन का पूजन किया।
अंतिम दिन भाई दूज ही जान, भाई-बहन का रखना मान।
भारत देश महापर्व प्यारा, विशाल दीपोत्सव मनाओ न्यारा।