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विशाल जैन पवा

Inspirational

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विशाल जैन पवा

Inspirational

देश का सजग प्रहरी

देश का सजग प्रहरी

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भारत की स्वाधीनता में शूर वीरों ने प्राण गंवाये,

स्वतंत्रता और आजादी की सबको याद दिलाये।

देश के वीर सिपाही ने जो सीमा पर मोर्चा संवारा,

नजर उठा कर देखे दुश्मन तो उसको नहीं गंवारा।

वतन पर मर मिटने की जब उसने सौगंध है खायी,

घर परिवार छोड़ राष्ट्र हित में उसने बंदूक उठायी।

हिमालय की चोटी से जब वन्देमातरम् उच्चार दिया,

शून्य डिग्री तापमान पर शत्रु का गढ़ विध्वंस किया।

जंगी के त्याग व बलिदान की ज्वाला है मन में ठहरी,

कायर और कमजोर नहीं है मेरे देश का सजग प्रहरी।

निर्भीक और निडर फौजी ने सीमा पर पांव पसारा,

रण छोड़ कर भागे दुश्मन जब भारत ने ललकारा।

माता की ममता ने भी तो कायरता को धिक्कारा है,

दूध का कर्ज चुकाने जन्मभूमि में तन को लगाया है।

स्वदेश की आबरू के खातिर फौलादी शरीर है पाया,

हिंदुस्तान की शान बढ़ाने आज ध्वज तिरंगा लहराया।

मातृभूमि की सेवा

कर वीर के घर आने की तैयारी है,

बाहें फैला कर बैठे पिताजी स्वागत की अब बारी है।

भारत की आन के खातिर प्राण न्यौछावर की है लहरी,

देशभक्त का वंशज बनकर खड़ा देश का सजग प्रहरी।

बीवी बच्चों का प्यार छोड़कर राष्ट्रप्रेम को गले लगाया,

अंतिम सांस तक लड़े वीर दुश्मन को है मार भगाया।

सरहद पर वीर सैनिक जब रणभूमि में शहीद होता है,

मुल्क की लाज बचाते देशवासियों को रुला जाता है।

वीर सैनिक की परिणीता भी वीरांगना कहलाती है,

जब बेटे को तिलक कर देशभक्ति की शिक्षा देती है।

पिता को बच्चे के फर्ज निभाने पर अभिमान होता है,

सीमा पर जाँबाज खड़ा देश का स्वाभिमान होता है।

उत्तर हो या पश्चिम दुर्गम मंजिल का वह लड़ाका राही,

राष्ट्र सेवा के लिए नतमस्तक है देश का सजग प्रहरी।

मातृभूमि के कण-कण की रक्षा को समर्पित रहता है,

जय-हिंद, जय-भारत ही लफ्जों में अर्पित करता है।



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