मिली साहा

Inspirational

5.0  

मिली साहा

Inspirational

पैसे से सब कुछ नहीं मिलता

पैसे से सब कुछ नहीं मिलता

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पुकार ले कोई जो पीछे से, तो रुक जाएं ये कदम,

कोई अपना पीछे छूट गया, आज दिल को है भ्रम,

पैसे को माना ईश्वर,कभी कद्र ही न की रिश्तो की,

गलतफहमी थी कि ये पैसा, हर दर्द कर देगा कम,

अपना सुख जान,उम्रभर भागा जिस पैसे के पीछे,

वही पैसा आज मन की बेचैनी बन, ढा रहा सितम,

अंतर्मन में शोर है, कुछ ऐसा, ख़ामोश दबा हुआ,

कि लाज़मी है हर कदम पर, आंँखों का होना नम,

तन्हा-तन्हा सफ़र है ये, तन्हा ज़िंदगी का हर मोड़,

खुशियों की उजास नहीं कहीं, बस है दर्द का तम,

विक्षिप्त हुआ जा रहा मन, खुद की भी सुध नहीं,

अब तो सफ़र का साथी लगता है, जीवन का ग़म,

करीब से गुज़र गया हर रिश्ता, अजनबी की तरह,

किस्मत का है ये खेल कोई,या वक़्त का है सितम,

कहने को अपने बहुत हैं,ढूंँढो तो कोई अपना नहीं,

किस से करें शिकवा, किसे ठहराएंँ कसूरवार हम,

हमने स्वयं ही तो, अपने पैरों पर मारी है कुल्हाड़ी,

अपने सच्चे रिश्तो को ही, पैसों से तोलते रहे हम,

पैसों से सब कुछ खरीदा, खरीद ना सके सुखचैन,

वक्त ने कई बार समझाया, पर समझ सके ना हम,

पैसों से बने झूठे रिश्ते ही, लगने लगे हमें अपने से,

दौलत की चकाचौंध में, इस कदर खो गए थे हम,

पैसों की खनक ने मन को ऐसे कर दिया विक्षिप्त,

दौलत के आगे अपनों का प्रेम भी लगने लगा कम,

फिसल गया सब कुछ हाथ से, बस दौलत रह गई,

व्याधियों ने घेरा तन को, पैसा ही बन गया सितम,

झूठे रिश्ते जो हमने बनाए, केवल दौलत के दम पे,

वही कर रहे इंतजार कब अपनी सांँसे छोड़ दें हम,

जिन्हें फ़िक्र थी, वास्तव में, उनको हमने दूर किया,

आज कोई ऐसा नहीं यहांँ, जो पूछ ले, कैसे हैं हम,

तन छोड़ रहा साथ, दौलत भी किसी काम न आई,

सब रह जाएगा यहीं, और दुनिया छोड़ जाएंँगे हम,

महंगे से महंगा डॉक्टर यहाँ, आज दे रहा है ज़वाब,

इतना पैसा होते हुए भी,कितने बेबस हो गए हैं हम,

आज तरस रहे हैं अपनों को, पैसा लग रहा बेगाना,

अपने होते संग, गर वक़्त रहते समझ गए होते हम,

वक़्त की अदालत में, जब भी होगी हमारी सुनवाई,

जानते हैं हमारी ही कोशिशें, वहांँ होंगी सबसे कम,

कहना है बस इतना ही, पैसे को ना समझो भगवान,

आखिर क्या मिला पैसे के पीछे जो इतना भागे हम,

माना पैसा ज़रूरी है, इस जीवन में कदम कदम पर,

पर पैसा सब कुछ खरीद सके, यह तो है केवल भ्रम,

गलती है जीवन की पैसों के लिए अपनों को छोड़ना,

अंत में रह जाओगे अकेले,दामन में होगा केवल ग़म,

पैसा ज़रूरत है, उसे कभी अपनी आदत ना बनाना,

क्योंकि जब यह आदत साथ छोड़ेगी, ढाएगी सितम,

दौलत से कहीं बड़ा,अपनों का प्यार अपनों का साथ,

अपने ना होंगे साथ, तो ये दौलत खुशी नहीं देगी ग़म,

पैसा ऐसो आराम तो दे सकता है, मन की शांति नहीं,

पैसों की चमक तो सच्ची खुशी से सदैव होती है कम,

दौलत के पीछे ना भाग रे प्राणी दौलत ले जाएगी दूर,

कि लौट न पाएगा वापस तू इतना हो जाएगा मजबूर,

ओझल न हो जाना अपनों से, पैसों में होकर मगरूर,

पैसा सबकुछ खरीद नहीं सकता, सोचना यह ज़रूर।


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