मोबाइल की माया
मोबाइल की माया


जब से मोबाइल पर उंगलियों ने थिरकना शुरू किया है
न जाने कितने ही ख़ूबसूरत लम्हों को हमने बिना जिए ही गंवाया है
वो लम्हे जो फिर शायद दुबारा न आएं फिर से न गुनगुनाएं
कैसा ये विचित्र सा यंत्र हम इंसानों ने पाया है।
सुख दुःख आँसू मुस्कुराहट सब कुछ आज इसी में समाया है
ज़िंदगी का बन बैठा हिस्सा ये जैसे वरदान कोई अनोखा पाया है
और सच ही तो है आवश्यक हो गया है ये रोटी कपड़ा मकान की तरह
इसके आने से सूचनाओं का आदान-प्रदान सुलभ और आसान हो पाया है।
आज मोबाइल फैशन का दूसरा नाम हो गया है
आपातकाल की स्थिति में सुरक्षा का यह यंत्र बन गया है
शिक्षा चिकित्सा व्यापार क्षेत्र सब उठा रहे हैं इसका भरपूर लाभ
बढ़ गई इसकी उपयोगिता और
भी जबसे इंटरनेट को साथ पाया है।
किंतु जिसको भी लग जाए इसकी लत बुरी लक्ष्य से भटकाया है,
वरदान के साथ-साथ इसने अभिशाप बनकर भी दिखाया है
बच्चों की पढ़ाई मन की शांति स्वास्थ्य पर पड़ा है इसका बुरा प्रभाव
अनिद्रा और नकारात्मकता इसके दुरुपयोग से ही इंसानों में आया है।
संदेह नहीं इस बात में मोबाइल जीवन में एक क्रांति लेकर आया है
उसी के लिए लाभ ये जो इसके अनियंत्रित प्रयोग से बच पाया है
सड़क दुर्घटनाएं जैसी गंभीर समस्याओं का ये बन सकता है कारण,
रिश्ते भी हुए हैं प्रभावित जिसने गुलाम इसका खुद को बनाया है।
सहायक है मोबाइल लाभ भी इसके बहुत बस उपयोग सही करना होगा
वरदान है मोबाइल या है अभिशाप साबित हमें ही करना होगा।