"कहता है कि इंसान मैं" "कहता है कि इंसान मैं"
ये कैसा दिल है माँ तुने पाया। ये कैसा दिल है माँ तुने पाया।
मैं कौन हूँ किस लिये आया हूँ यहाँ भूलकर इंसान सब बस, एक दूसरे को मात देने में जुटे हैं । मैं कौन हूँ किस लिये आया हूँ यहाँ भूलकर इंसान सब बस, एक दूसरे को मात देने...
जीते हैं दुनिया में अपनी ना किसी को परेशान करते हैं, ये तो इन्सानों की हरकत है जो इनका नुकसान करत... जीते हैं दुनिया में अपनी ना किसी को परेशान करते हैं, ये तो इन्सानों की हरकत ह...
दर-ब-दर फ़कीर भी ज्ञान बांटता रहता है पढ़ाई हकीक़त के दोहराए साफ दिखाती है.. दर-ब-दर फ़कीर भी ज्ञान बांटता रहता है पढ़ाई हकीक़त के दोहराए साफ दिखाती है..
ना शतरंज का खेल खत्म होता है ना ही इंसानों की जिंदगी खत्म होती है ना शतरंज का खेल खत्म होता है ना ही इंसानों की जिंदगी खत्म होती है