दर-ब-दर फ़कीर भी ज्ञान बांटता रहता है पढ़ाई हकीक़त के दोहराए साफ दिखाती है.. दर-ब-दर फ़कीर भी ज्ञान बांटता रहता है पढ़ाई हकीक़त के दोहराए साफ दिखाती है..
न जाने क्यों हर घड़ी मैं अपनी ही शख़्सियत से उलझता फिरता हूँ। न जाने क्यों हर घड़ी मैं अपनी ही शख़्सियत से उलझता फिरता हूँ।
सब कभी ना कभी कहीं गिरते हैं कई गिरकर भी तो संभालते हैं सब कभी ना कभी कहीं गिरते हैं कई गिरकर भी तो संभालते हैं
बूँद बूँद मिलकर बनता है सागर उलटी रखो तो खाली रहती गागर बूँद बूँद मिलकर बनता है सागर उलटी रखो तो खाली रहती गागर
वो काबिल तो बन गया। वो काबिल तो बन गया।
गर समझ में आये उन रंगों की तो वो मुठ्ठियाँ भरनी चाहिए। गर समझ में आये उन रंगों की तो वो मुठ्ठियाँ भरनी चाहिए।