Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Jitendra Pathak

Inspirational

1.0  

Jitendra Pathak

Inspirational

इंसान मैं

इंसान मैं

1 min
13.9K


खाल से बंधी लिबास में

हाड़ का बना कहता है,

कि इंसान मैं!

 

क्या और नहीं तुझ से

इस संसार में

एक जानवर भी है उपस्थित

उसी लिबास में!

 

घमंड हुआ है तुझे

चार लफ्ज़ कह के

बोलता तो वो भी है

मगर अलग अंदाज़ में!

 

खाल से बंधी लिबास में

हाड़ का बना कहता है,

कि इंसान मैं!

 

देगी सबक़ तुझे कुदरत

तेरी करतूतों पे

कर के तबाह उसे

फिर भी कहता है

कि इंसान मैं!

 

सब कुछ दिया तुझे उस ने

मगर क्या दिया तुने बदले में

सब पड़ा है दबा-कुचला 

अफसोस के मलबे में

फिर भी कहता है

कि इंसान मैं!

 

खाल से बंधी लिबास में

हाड़ का बना कहता है,

कि इंसान मैं!     


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational