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Nitesh Prasad

Inspirational

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Nitesh Prasad

Inspirational

शिकायत नहीं है

शिकायत नहीं है

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शिकायत नहीं,मुझे खुद पर यकीन है

मेरे ख़्वाब भी आसमान की तरह स्वाधीन है

मेरे प्रयास कहाँ असफलताओं के अधीन है ?

माना जिंदगी कभी गुड़ सी मीठी,कभी आँसुओं सी नमकीन है

मत हो उदास आज पतझड़, तो कल वसंत के मौसम हसीन है

शिकायत नहीं,मेरी अर्जी भी ऊपरवाले के विचाराधीन है

माना मुश्किल है सफर,चलना इस डगर कठिन है

हो कर्म गंगा सा निर्मल तो जिंदगी इंद्रधनुष सी रंगीन है

खुशबू बिखरेगी सफलता की मेरी,ये कहाँ गंधहीन है ?

चखकर परोसा हूँ खुद को कसौटी पर,मैं कहाँ स्वादहीन हूँ ?

शिकायत नहीं करूंगा, जो बीता प्राचीन

लिखूंगा कर्मों से फिर एक कविता नवीन।


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