हर दम तुझे सोचा है
हर दम तुझे सोचा है
हर दम तुझे सोचा है, खिलती उमंगों के संग
हैरत में है ये बेपरवाह साँसे, धड़कने भी है दंग
जिंदगी की संकरी सी गलियां है, अब तंग
आ भर दे मेरे एहसासों को, चढ़ा अपना रंग
साँसों को महका दे, करूँ मैं भी नृत्य मृदंग
हृदय में उठ रही प्यार की एक मीठी नवतरंग
तू मुझमें बसता है, बनके कोई अभिन्न अंग
अब श्रृंगार चढ़े प्रेम का, बने नया कोई प्रसंग।

