पर हम है बस दो कच्ची दिवाल पक्की सी। पर हम है बस दो कच्ची दिवाल पक्की सी।
बेटी उपहार है ईश्वर का, कंधों का बोझ नहीं। बेटी उपहार है ईश्वर का, कंधों का बोझ नहीं।
आतंकवाद नामक संक्रमित रोग न फिर कभी दोबारा होगा मेरे जाने के बाद बस इतना मेरा काम करना आतंकवाद नामक संक्रमित रोग न फिर कभी दोबारा होगा मेरे जाने के बाद बस इतना मेरा क...
ये आग सारे और सबकुछ पंचतंत्र के एक अभिन्न अंग है जो पवित्रतम है इंसान सिर्फ रूप देता ये आग सारे और सबकुछ पंचतंत्र के एक अभिन्न अंग है जो पवित्रतम है इंसान स...
कठपुतली के अंदर की पीड़ा कसती है फंदे हम सबके गले में। कठपुतली के अंदर की पीड़ा कसती है फंदे हम सबके गले में।
थक कर चूर हो गया ये शरीर का हर अंग, फिर भी जाने कहां तक चलना है। थक कर चूर हो गया ये शरीर का हर अंग, फिर भी जाने कहां तक चलना है।