हिंद की माटी....
हिंद की माटी....
हिंद की माटी से बना माटी मे मिल जाऊंगा
माँ भारती की ख़ातिर मर मिट भी जाऊंगा
धरती माँ का आँचल अपने लहू से भीगा जाऊंगा
बुरी नजर रखने वाले का शीश भी काट लाऊंगा
वचन है मेरा खुद से आतंकवाद का नामो निशां मिटाऊंगा
अलगावाद की बात है जो करते इनको भी सबक सिखाऊंगा
पाले हैं जो आस्तीन मे ज़हरीले सांप पहले इन्हें मिटाऊंगा
हिंद का नमक खा हिंद के खिलाफ जाते हैं
ऐसी नापाक हरकत करने वाले जहन्नुम मे ही जाते हैं
जो अंग सड़ गया है बेहतर है अब उसको काट डाला जाए
इससे पहले कि वो रोग पूरे शरीर मे फैल जाए
दर्द तो बहुत होगा पर करके दिखाना है
मानवता की ख़ातिर अगर और लहू बहने से बचाना है
अब जंग छिड़ जाने दो जो शहीद हुए उनका कर्ज चुकाने दो
विश्व पटल से तेरा नाम मिट जाएगा हमारा विजय पताका
लहरायेगा जय जवान जय भारत का नारा होगा
आतंकवाद नामक संक्रमित रोग न फिर कभी दोबारा होगा
मेरे जाने के बाद बस इतना मेरा काम करना
मेरा शव सौंप परिवार को उनको ढांढस बांधना
कहना उनसे माटी पे क़ुर्बान हुआ है देश के साथ साथ
अपने परिवार को भी सम्मान दिया है
प्रणाम मेरी बूढ़ी माँ को करना जिसकी कोख ने हिंद के जवान को जना है
छुटकी को भी प्यार करना कहना उससे
तुम्हारे पिता तुम्हारे पास ही हैं हमेशा साथ ही हैं मेरी बच्ची
अपनी नन्ही नन्ही आँखें नम न करना
बस जय हिंद का उदघोष हो आँखों मे प्रतिशोध हो....
