नब्बे के दशक मे
नब्बे के दशक मे
वो छोटे छोटे घर दिल बड़ा था यार
नब्बे का दशक बड़ा खूबसूरत था यार
वो मोहल्ले के किस्से और आपसी प्यार
कुछ ऐसा था नब्बे का दशक मेरे यार
छोटी सी जगह और सामूहिक परिवार
मस्त मिलजुलकर रह लेते थे यार
न ओटीटी का बवाल न नेट का हाहाकार
गीतमाला मोगली मालगुडीडेज चित्रहार
रामायण कृष्णा से लेकर फिल्मी इतवार
दूरदर्शन के भी गजब जलवे थे यार
संसाधन कम थे जिंदगी थी बिंदास
गर्मी के फल आम खरबूजा तरबूज़
ककड़ी खीरा पानी की बाल्टी मे डालकर
ठंडा कर परिवार संग खाले थे यार
गर्म रातें छत पर खाटों पर कट जाती
सर्द मौसम गली मे जलाते थे अलाव
शिकन नही थी माथे पर
इक दूसरे के सुख दख मे रहते थे संग
पड़ोसी भी होता था परिवार जैसा यार
कुछ ऐसा था नब्बे का दशक मेरे यार
वो दौर जो बीत गया बचपन मेरा रीत गया
अनगिनत यादें ही हैं बाकि काफी कुछ
कहना सुनना छूट गयाा।