अनोखा देश यह अपना
अनोखा देश यह अपना
है अनोखा देश यह अपना
अनोखे हैं जिसके त्यौहार
आपस में हैं गुंथे हुए सब
जैसे हो कोई मुक्ता हार
विविध विविध भाषा इसकी
जाने कितनी ही है बोली
रंग गुलाल उड़ाती आती
रंग बिरंगी अपनी होली
विद्या बांटती वसंत पंचमी
मिठास घोलती संक्रांति
अन्न-जन को सम्मान मिले
गणेश चतुर्थी, ओणम देते शांति
शक्ति का प्रतीक बना दशहरा
विजय शौर्य की करें आराधना
नारी है शक्ति त्याग की मूर्ति
पूरी हो उससे हर साधना
कितनी खुशियां लाती दिवाली
संपन्नता, वैभव और दे खुशहाली
द्वार चौखट जगमगाए
मेवे-पकवानों से सजी रहे थाली