STORYMIRROR

Alka Soni

Classics

3  

Alka Soni

Classics

अनोखा देश यह अपना

अनोखा देश यह अपना

1 min
240

है अनोखा देश यह अपना

अनोखे हैं जिसके त्यौहार

आपस में हैं गुंथे हुए सब

जैसे हो कोई मुक्ता हार


विविध विविध भाषा इसकी

जाने कितनी ही है बोली

रंग गुलाल उड़ाती आती

रंग बिरंगी अपनी होली


विद्या बांटती वसंत पंचमी

मिठास घोलती संक्रांति

अन्न-जन को सम्मान मिले

गणेश चतुर्थी, ओणम देते शांति


शक्ति का प्रतीक बना दशहरा

विजय शौर्य की करें आराधना

नारी है शक्ति त्याग की मूर्ति

पूरी हो उससे हर साधना


कितनी खुशियां लाती दिवाली

संपन्नता, वैभव और दे खुशहाली

द्वार चौखट जगमगाए 

मेवे-पकवानों से सजी रहे थाली


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics