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Sachin Kumar

Classics Inspirational

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Sachin Kumar

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रिश्ता

रिश्ता

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हमने रिश्तों के लिए धन लूटा बैठे 

जिंदगी की सारी कमाई हुई धन 

कुछ पल में गवा बैठे 

रिश्तों ने खूब रिश्ता निभाई

ना जाने रिश्तों ने कब रिश्ता गवा बैठेI

    

ये रिश्ता का मेल नहीं 

ये पैसो का खेल था 

टूटे रिश्तों का एक लम्हा बित गया 


उसने जहन में एक जख्म दे गया 

हमने इस जख्म पे मरहम लगाते–लगाते 

मैंने अपना उम्र खो गया !


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