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Jhilmil Sitara

Classics Others

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Jhilmil Sitara

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लंकेश की पराजय तय थी

लंकेश की पराजय तय थी

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कर छल, रच कर प्रपंच


तोड़ मर्यादा दशानन


हरण कर ले आया था


अशोक वाटिका जबरन।


वो हृदय प्यारी जानकी को 


विरह में अपने स्वामी का


करती थीं हर पल स्मरण


विकट था विलग रहना


प्रेम में दोनों के एक अंतर्मन।


व्याकुल प्रभु राम सीते पुकारे


प्राण प्रिया संग ही था सुकून


वाटिका के पुष्प - लताओं में


प्रियतम के रूप का स्वरुप बसा


मंद - मंद बहती हवा में घुली


उनकी ही पुकार, उनकी सदा।


यक़ीन था आएंगे अवश्य ही 


राहों में रखीं थीं पलकें बिछा


रावण की चली ना फिर चाल


टूटना ही था गुरुर जो इतना भरा


अंदेशा था लंकेश को पराजय का


सगा भाई भी उसे था छोड़ चुका।


सुग्रीव की वानर सेना थी अब तैयार


हुआ युद्ध नियति से जो तय था


धराशाई आख़िर खोखला घमंड हुआ


विजय हुआ अमर प्रेम पति - पत्नी का


धूमधाम से राजतिलक अयोध्या में मना।



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