ना कमी है ना शिकायत कोई!
ना कमी है ना शिकायत कोई!
जीवन में जो ये मोड़ ना होते ये पड़ाव ना होते
तो भला जीने का अहसास कैसा होता......!
हर पल हर जगह जो सिर्फ मुस्कान बिखरी होती
तो इन नमकीन आँसुओं की पहचान क्या होती..!
संसार में जो ये अद्भुत रंग ना होते सुकून भरे
तो इन आँखों की भला होती क्या कोई जरूरत..!
ये मधुर - मधुर पक्षियों की गूंजती ना आवाज़ें
तो कानों को भला सुनाई देती क्या दिल की धड़कने ..!
सिर्फ उजाला या सिर्फ अंधेरा लिए जग अगर होता
तो भोर की महक और शाम की धनक का क्या होता..!
ये पेड़ - पहाड़, ये नदियाँ ये झरने का श्रृंगार ना होता
तो सुन्दर इस धरती पर बसें जीवों का क्या होता..!
तरह - तरह की बहारें लिए ये मौसम जो ना होते
तो मनमोहक कशिश लिए इन फूलों का क्या होता..!
बड़े जतन से सोच विचार कर ईश्वर ने बनाया ये जहाँ
कोई कमी नहीं कोई शिकायत नहीं होना चाहिए हमें!
