सदाचरण
सदाचरण
सदाचरण, विनम्र व्यवहार यही है मानव का आधार।
मीठी वाणी, मधुर मुस्कान से करे सबका सत्कार।
सत्पुरुषों की धरती है ये ना करें इसका तिरस्कार।
अपने जीवन मे अपनाये "सादा जीवन उच्च विचार"।
सत्कर्म, सदमार्ग पर अग्रसर हो ये जीवन।
परहित,परोपकार के पथ पर हो तन- मन।
निर्मल मन, सुन्दर काया उजला हो दर्पण।
बनो राम के जैसा अनुकरण करो रामायण।
महापुरुषों सा कर्म हो धर्म हो सनातन सा।
शांत चित्त लिए हुये संत बनो संतो सा।
गृहस्थ आश्रम में रहकर भक्ति करो भक्त सा।
बन जाओ तुम भी विवेकानंद, तुलसीदास सा।
वक्त यही सही है भर लो खुशियों से घर आंगन।
भटके हुये पथिकों को मिले उनके स्नेहीजन।
पाश्चात्य सभ्यता का त्याग कर करो समर्पण।
अवगुण की विरक्ति से ही आते है सद्गुण।
किराये का ये जीवन, किराये का है ये तन।
किस बात का गुरूर, किस चीज का जतन।
कुछ ना जायेगा साथ तेरे रहेगा केवल कर्म।
अंत में गिने जायेंगे तुम्हारे अच्छे बुरे आचरण।