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Amita Mishra

Inspirational

4  

Amita Mishra

Inspirational

समय

समय

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247


(1)

एक युग सतयुग था जहाँ सत्य ही सर्वत्र विद्धमान था।

एक युग त्रेतायुग था जहाँ सभी वचनबद्ध मर्यादित था।

एक युग द्वापर था जहाँ श्रीकृष्ण ने प्रेम करना सिखाया था।

फिर आया है कलयुग जिसमें स्वार्थ ही सब में समाया है।

ये तो समय समय की बात है.............

         (2)

बचपन का समय खेल खेल में गुजर है जाता।

देख जवानी गर्म खून का सबको अपने पीछे पाता।

समय ढल गया आ गया बुढ़ापा बिता समय सोच सोच पछताता।

क्यों खोया व्यर्थ समय को अब राम नाम याद है आता।

ये तो समय समय की बात है.............

       (3)

बीते समय में परिवार बड़ा था संयुक्त परिवार में रहते थे।

बड़े बुजुर्गों का घर में सम्मान किया करते थे।

समय का पहिया घूम गया अब 14 से 4 का हो गया परिवार।

अब आया है कोरोना का समय जिसमें अकेले सब हो गए।

ये तो समय समय की बात है.............

        (4)

अपने अच्छे समय पर मत कर तू अभिमान।

कुछ भी साथ नहीं जाएगा तेरे।

समय रहते कर ले तू कुछ अच्छा काम।

समय चला जाता है कर्मफल है साथ चलता।

ये तो समय समय की बात है.............

         (5)

समय ऐसा भी आता है जब अपने ही हो जाते दुश्मन।

जिनके लिए त्याग दिया सब कुछ उन्हीं ने तुमको त्याग दिया।

मात -पिता के प्यार को भी बेटों ने बांट लिया।

ये समय का चक्र है जो नित नए अनुभव दे जाता।

ये तो समय समय की बात है.............

         (6)

भगवान भी समय के हाथों में बंध जाते।

श्रीकृष्ण ने ब्रह्मांड को जीता पर अपने पुत्र से हार गए।

समय समय पर श्री विष्णु ने अनेको अवतार लिए।

शिवजी ने समय आने पर विषपान किया।

समय की नियति में बंधकर सृजन और संहार किये।

ये तो समय समय की बात है.............


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