क्या वो सफल हुई
क्या वो सफल हुई
पिता ने कहा - बेटी तुम्हे खूब पढ़ना लिखना है अपने पैरों पर खड़े होना है, अपने हुनर से आसमान छूना है.....
फिर...
जब लड़की पढ़ लिखकर पैरों पे खड़ी हो गई तब पिता ने कहा अब तुम शादी कर लो हमें भी अपने कर्तव्य से मुक्त करो....
उसने शादी कर ली....
फिर पति ने कहा
तुम सिर्फ बच्चें और घर सम्भालो.....
सास ने कहा - पति खुश रहे और बच्चें काबिल बने यही तुम्हारे जीवन की सफलता है......
वो तन मन से पति बच्चों की सेवा में लगी रही पर जब भी आसमान को देखती उसे याद आती पिता की बातें पर अब वो उसे सिर्फ देख सकती थी छू नही....
पति खुश और बच्चें बहुत काबिल बन चुके थे फिर उसने जीना चाहा खुद के लिए....
पति ने फिर कहा इस उम्र में क्या करोगी अब बच्चों की शादी और नाती सम्भालो....
एकबार फिर उसने छोड़ा आसमान को तकना
घर, पति, बच्चें सब खुश थे पर वो अंदर ही अंदर कही घुट रही थी अरमान सारे बिखरे हुये थे और एक दिन वो सचमूच आसमान को छूने चली गई अनन्त काल के लिए......
वो आसमान से देख रही थी अपनी ज़मीन, अपना घर, पति,बच्चे और तलाश रही थी खुद को उनके हर पल हर छण में पर सब व्यस्त थे अपनी-अपनी दुनियां में.....वो सोच रही थी क्या वास्तव में यही उसकी सफलता है, क्या वह अपने जीवन में सफल हो पायी.......