कुछ सुनाई नही देता
कुछ सुनाई नही देता
हाँ कुछ इसलिए मैं अपनी सफाई नहीं देता
कुछ तो अंधे हैं यहाँ कुछ को सुनाई नहीं देता
जब यहाँ खुद पे गुज़रती है पता चलता है
औरों का हमें कुछ भी दिखाई नही देता
आज उस शख़्स ने ग़ैरों से मदद ली कैसे
वो जो भूले से भी अपनों को दुहाई नहीं देता
तुम इसे इश्क़ या दीवानगी चाहे जो कह लो
मुझे अब तेरे सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता
ज़रा देखो तो ख़ुशी बांटने आया है मेरी कौन
वो जो मुश्किल में कभी मेरे दिखाई नही देता
मर जायेगा वो, छोड़ चला जाऊँ जो उसको
मैं इसी डर से कभी उसको जुदाई नहीं देता
अब हमको जवानी कहाँ याद आती है "तनवीर"
इस बुढ़ापे में तो अब कुछ भी सुझाई नहीं देता...।