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Ranjana Mathur

Drama

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Ranjana Mathur

Drama

विश्वास करो

विश्वास करो

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कई अजूबे इस दुनिया में तुम मानो या न मानो

हर शह परखी नहीं है जाती इशारों में ही पहचानो।


घड़ी की सुई समय को चलाती कभी समय को न देखा

मानव की इक इक सांसों का समय को है लेखा-जोखा ।

उस अद्भुत अप्रतिम सत्ता के विपुल रूप को पहचानो

कई अजूबे इस दुनिया में तुम मानो या न मानो।


बालक माँ की कोख से जन्मा शनैः-शनैः वह बढ़ने लगा

समय बीतते आया बुढ़ापा अंत की कथा को गढ़ने लगा।

यही नियति है जीवन की रे मानव मन पहचानो

कई अजूबे इस दुनिया में तुम मानो या न मानो।


भले का अंत भला होता है और बुरे का अंत बुरा

बदले में तुम्हें शूल मिलेंगे यदि घोंपा है तुमने छुरा।

एक भलाई के फल सौ- सौ देता प्रभु है इंसानों

कई अजूबे इस दुनिया में तुम मानो या न मानो।


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