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Harsh Singh

Abstract Drama Tragedy

4.8  

Harsh Singh

Abstract Drama Tragedy

ऐसा क्या हो गया?

ऐसा क्या हो गया?

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आज इन शब्दों को क्या हो गया लफ़्ज़ों पर

आकर भी प्रभावहीन कैसे हो गया ?


ये मृतकों की भाँति गुमसुम और

बेजुबान कैसे हो गया ? 


ह्रदय में अलग एहसास है

मस्तिष्क में कुछ और 

ये कैसे संभव हो गया शब्द तूणीर में

पड़े बाण की भाँति रह गया ?


प्रतिकार करने वाले शब्द

आज मौन कैसे हो गया ?

कभी हार ना मानने वाले शब्द आज

सर झुकाने को विवश कैसे हो गया ?


सदा लालायित रहने वाले ये शब्द

आज प्रतीक्षा को कैसे सह गया ?

सदाचार की आवाज़ उठाने वाले ये

शब्द आज लाचार कैसे हो गया ?


यम को कंपाने वाले ये शब्द

आज उसी की गोद में सो गया।


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