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Harsh Singh

Classics Thriller

4  

Harsh Singh

Classics Thriller

धर्म की पुकार सुनो

धर्म की पुकार सुनो

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ज़माना बदल रहा लोग भी बदलेंगे 

थोड़े अभी बदल रहे थोड़े आगे बदलेंगे 

जिनको समझ नहीं आ रहा वो ऊपर पहुंचेंगे 

जो हंस हैं वही ज़िंदा बच पायेंगे


समय का पहिया घूम रहा वक़्त निकलता जायेगा 

कर्म हमारे हाथ में बाकी फिसलता जायेगा 

झमाझम बारिश हो रही समुद्र मंथन होता जायेगा 

विश्वाशघाती सर्वत्र फैले आघात बढ़ता जायेगा 


सतयुग द्वापर बीत गया कलयुग काल बन जायेगा 

राम कृष्ण चले गए अब कली ही आयेगा

ज्यादा चिंतित ना हो कल्कि अवतरण भी आएगा 

हर्ष कवि लिख रहा ये दिन कट जायेगा 

पढ़ते लिखते समझ गए हम अब धर्म ही बचाएगा।


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