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DRx. Rani Sah

Abstract Classics

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DRx. Rani Sah

Abstract Classics

ज़िंदगी अपनों के लिए

ज़िंदगी अपनों के लिए

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जिएंगे अपनो के लिए

बेशर्ते दुख जितने भी मिले

अपनो के संग ज़िन्दगी की गीत गाते चलेंगे

कुछ रूठो को समय समय पर मनाते रहेंगे


जिएंगे अपनो के लिए

अपनो के संग हर रिश्ते निभाते चले

हम एक दूजे के स्वर से स्वर मिलाते चले

मिलकर चलो जीवन का अर्थ जान ले

भावनाओं से परे अच्छा बुरा पहचान ले


चलो कोई कहानी रच दे अपनेपन का

और ज़िन्दगी के अनुभवों के साथ उस प्रेम उपवन में चले

सचमुच जिस दिन ज़िन्दगी किताब सी होंगी

उसके हर पन्ने पे यादे बेहिसाब सी होंगी


अपनो के संग एक ऐसा दस्तान होगा

हर्ष और उल्लास के साथ जीता हर इंसान होगा

जिएंगे अपनो के लिए

ये सोच जब मन में छप जाएगी

हर दर्द हर तकलीफ़ पास आने से कतराएगी


जब थकने से लगो ज़िन्दगी की गर्त में

कुछ हसीन लम्हों का ही आसरा होगा

यकीनन अपनों के साथ ही अलग कारवां होगा।


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