भाग रहा हूँ
भाग रहा हूँ
भाग रहा हूँ,
मंजिल की तलब है,
आसमां है गहरा पर,
वही सपनों की झलक है,
हौसलों का पंख है ,
बेशक हालात तंग है ,
पर मन में उमंग,
पलकों तले खुशियों का रंग है ,
बिन रुके भागते जाना है ,
फलक के बादलों को,
सीने से लगाना है ,
कामयाबी की फिराक में,
दिल खोया पड़ा है ,
मनचाही उड़ान में,
सफ़र गमो से भरा है ,
राही बन कर देखा तो,
हर चीज एक भ्रम सा है ,
हैरान हूँ परेशान नहीं,
थक सकता हूँ,
मगर बेजान नहीं,
हाँ अब तैयारी पूरी है ,
आसमा छूने की बारी मेरी है ,
तब्दीली हो रही है ,
शायद मिलने वाली तरक्की है ,
भाग रहा हूँ,
एक रफ्तार लिए,
आँखो में ख्वाब लिए,
कल की आस में आज लिए,
कुछ दर्द बे आवाज लिए,
अपने सुकून का इलाज लिए,
जो जोड़े रखे मुझे मेरे सपनों से,
वही खुशनुमा एहसास लिए,
किसी रोज मैं भी,
चूम सकूं वो चाहतों का नभ,
उसके खातिर जहन में,
कुछ अनकहे राज़ लिए,
भाग रहा हूँ,
झूठ को मात दिए,
अपने हर सच को साथ लिए।