उम्मीद (एक माँ का इंतजार)
उम्मीद (एक माँ का इंतजार)
शहर आ गए हो
सुना है बहुत अच्छा कमा रहे हो..?
हर महीने पैसे वक़्त पर भिजवाते हो
ये भी तो बताओ अपनी माँ से बात करने के लिए कितनी बार फोन लगाते हो।
हाँ माँ के बाल सफ़ेद, आँखें कमजोर और चेहरे पर झुर्रियां पड़ गयी,
ऐसी भी क्या तरक्की की
माँ बेटे के दरमियाँ दूरियाँ बढ़ गयी।
चलो माना ज़िंदगी की भीड़ में कभी कभी तुम खो जाते हो,
जिसके लिए सिर्फ़ तुम हो
उसे भूल कर बाकी दुनिया के कैसे हो जाते हो..?
ये माँ है जो तुमसे कुछ नहीं कहती हैं
बेशक तेरी याद की पीड़ा सहती है..!
किसी दिन तुम आ जाओगे _ माँ माँ की आवाज़ लगाओगे,
उस मधुर आवाज़ की गूंज सुनने के लिए,
उस माँ के कान तरसते हैं,
सच हो जाए उसकी ये कल्पना
इस उम्मीद में दो नैन बरसते हैं।
उसकी खुशी का ठिकाना क्या होगा,
तुम से बढ़कर उसकी खातिर कोई खजाना क्या होगा,
तुम हो की कागज़ के नोट समेटने में लगे हो,
ज़रा याद करो, माँ की तकलीफ देख कितनी रातें जगे हो..!
जिसने अपनी नींद को भी वार दिया,
तेरी हर चोट पर ममता दुलार दिया,
उस रोज़ वो तेरा हरा घाव भी भर गया था
क्या करता भला माँ के हाथ पड़ते ही डर गया था..!
चांदी के बाजार में उस माँ के लिए तू सोना है,
तेरे ना होने से उसकी गोद सूनी और सूना घर का कोना कोना हैं.!
उस माँ की उम्मीद की गाँठे तेरी मेरी सोच से परे है,
मगर इससे पहले की वो गाँठे खुल जाए,
माँ के हिस्से का इंतजार समय के साथ धूल जाए,
लौट आना किसी बहाने से
कौन सा सौदा तेरे हाथ से निकल जायेगा
एक माँ के मुस्कुराने से..!
वो माँ अब भी ख़ुद को सब्र में ढाल रही हैं,
कभी पाला था तुझे आज तेरी यादों को पाल रही हैं।
हर सुबह उसे तेरे आने की उम्मीद हैं,
उसकी आँखों में परेशानी की नींद हैं,
तेरे आने की ख़बर मिले या न मिले,
वो माँ है पलकों में उम्मीद लिए तेरा इंतेज़ार करेगी,
हद है यार किसने कह दिया तुमसे - माँ शर्तों पर प्यार करेगी, माँ शर्तों पर प्यार करेगी..?