दिल के रिश्तें
दिल के रिश्तें
ये दिल के रिश्ते हैं तभी तेरे इंतज़ार में हम भी तड़पते हैं,
तू क्या जाने मिलने को तुझसे कितना तरसते हैं,
दर्द का ये रंग मुझे हर रोज रंगता हैं,
तकलीफों की परत मेरे मन पे चढ़ते रहता हैं,
ये दिल के रिश्ते हैं तभी तेरे इंतज़ार में हम भी दुखी हैं,
तेरे जितना ही मेरे लिए जीना मुश्किल हैं,
तुझसे मिलने को मैं भी बेचैन हूँ,
सच तेरी कमी में मैं जमीन पे पड़ा धूल हूँ,
सिर्फ तुझे नहीं तेरे इश्क़ की लत मुझे भी लगी हैं,
पर तेरा रूठे रहना मुझसे,
किन शब्दों में बताऊँ कितनी गहरी चोट करती हैं,
तेरी यादों को आँखों में और उन आँखों में आँसू संभाले हुए,
हर लम्हे में तुझसे मिलने की आरजू करते हैं,
कोई क्या जानें कितने अधूरे एहसासों को लेकर हम रहते हैं,
ये दिल के रिश्ते हैं तभी तेरे इंतज़ार में हम भी तड़पते हैं,
यूँ ही नहीं बात बात पर हर किसी पे बिगड़ते हैं,
ये ज़िंदगी कहाँ रुकती हैं,
दिल के रिश्ते जहाँ वही उलझने ठहरती हैं,
तुझसे मिल सकूँ उतनी मोहलत कहाँ मिलती हैं,
सिर्फ तेरी नहीं मेरी भी साँसे अब फिजूल लगती हैं,
तेरी मुस्कान मेरी हर खुशी की राज़ है,
फिर तू क्यों मुझे नाराज़ हैं,
क्यों हर पल चुप्पी में गुजार रही हैं,
गुस्सा नहीं हैं मुझसे तू जबरदस्ती बता रही हैं,
तेरा खामोश रहना मुझे इतना ना चुभता,
काश तू हक से डाट लेती तो ये सब ना कहता,
ये दिल के रिश्ते हैं तभी तेरे इंतज़ार में हम भी तड़पते हैं,
सच तेरी कमी में सौ बार टूट कर बिखरते हैं,
मेरी मोहब्बत को तू तो अच्छे से समझती थी,
फ़िर आज क्यों तेरा यकीन मुझ पर डगमगाया हैं,
क्यों तेरी उसी नज़र ने मुझे गलत पाया हैं,
मेरी ख्वाहिशों को तूने हर बार पूरा किया,
मेरी वफ़ा के बदले तूने अपनी चाहतों से मुझे भर दिया,
वक़्त की खता से तू क्यों मुझसे खफ़ा हैं,
ये दिल के रिश्ते हैं तेरे मेरे दरमियान खुद खुदा ने लिखा हैं,
जो बीत रहा तेरे मन पर वही तो मेरे साथ भी हुआ हैं,
तोड़ कर रख देता हैं तेरा मौन रहना,
सवाल होते हैं तेरे होंठों पर पर तेरा कुछ ना कहना,
अब अपने किस आलम का तुझसे इकरार करूँ,
तू कह दे जो मेरे हक में वो सब स्वीकार करूँ,
तू कैसे मुझसे किनारा कर रही हैं,
जिस मोहब्बत में हम दोनों थे,
उसे सिर्फ तेरा कह रही हैं,
तुझे क्यों लगता हैं मैं बदल गया हूँ,
एक बार देख मेरी आँखों में,
किस तरह मैं ज़िंदगी से उजड़ गया हूँ।