राज़दार बना लीजिए! राज़दार बना लीजिए!
क्यूँ ना अपनी उलझने सुलझायें फिर से ? क्यूँ ना अपनी उलझने सुलझायें फिर से ?
फिर कैसे अल्लाह के दर से दफ़ा हो जाऊँ। फिर कैसे अल्लाह के दर से दफ़ा हो जाऊँ।
चाँद को देख़ा, सितारों को देखा अँधरो में खोया तो बहुत था रात भर तुमसे मिलने की तलब इस चाँद को देख़ा, सितारों को देखा अँधरो में खोया तो बहुत था रात भर तुमसे मिलने...
कुछ बदला सा ये मौसम का मिजाज है, कुछ बदला सा है इन हवाओं का ये रुख। कुछ बदला सा ये मौसम का मिजाज है, कुछ बदला सा है इन हवाओं का ये रुख।
इन्हीं लम्हों में हमारी आँखें मिल जाया करती थी, भले ही दो पल के लिए ही सही ये दुनिया उन्हीं में सिमट... इन्हीं लम्हों में हमारी आँखें मिल जाया करती थी, भले ही दो पल के लिए ही सही ये दु...