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Arpita Sahoo

Others

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Arpita Sahoo

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कुछ यूँ बदले है हम तुम

कुछ यूँ बदले है हम तुम

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कुछ तो खास है इस फिज़ा मे,

कुछ अलग सा ये एहसास है।


कुछ बदली सी ये खुशबू है,

कुछ अलग से ये जज़्बात है।


कुछ बदला सा ये मौसम का मिजाज है,

कुछ बदला सा है इन हवाओं का ये रुख।


कुछ नया सा ये शहर है,

कुछ नया सा ये शोर है।


कुछ भीगी सी वो पलकें है,

कुछ रूठी सी ये नजरें है।


कुछ अधूरे से वो वादे है,

कुछ धुंधली सी वो यादें है।


कुछ कड़वी सी वो बातें है,

कुछ मीठी सी वो नादानियां है।


कुछ भूले से वो लम्हे है,

कुछ अपने से वो पराए है।


अब कुछ यूँ रूठी है ये जिंदगी,

ना शिकायत का हक है,

ना इनायत की आरज़ू,


अब कुछ यूँ छूटा है

इस रूह से ये राब्ता,

ना तड़प है ना तलब,

ना चाह ना चाहत।


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